Amroha news अमरोहा। कलेक्ट्रेट परिसर में कृषि विभाग द्वारा आयोजित पराली गन्ना पत्ती तथा अन्य फसल अवशेष प्रबंधन व जैविक / प्राकृतिक कृषि जागरूकता गोष्टी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर जिलाधिकारी ने सर्वप्रथम फीता काटकर कृषि विभाग ,गन्ना विभाग द्वारा लगाए गए गन्ना , बीज कीटनाशकों और कृषि यंत्र के कृषक जागरूकता संबंधी स्टालों का जिलाधिकारी ने एक-एक करके अवलोकन किया और आवश्यक बिंदुओं पर संबंधित अधिकारी से जानकारी ली । उपनिदेशक कृषि राम प्रवेश जी ने जिलाधिकारी निधि गुप्ता को कृषि यंत्रों की उपयोगिता अनुदान कृषि विभाग द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के लाभ बीज कीटनाशक नई फसलों की प्रजातियां के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी एक-एक करके दी ।
जिलाधिकारी ने किसान बन्धुओं को संबोधित करते हुए कहा कि आप सब लोग जैविक खेती/ प्राकृतिक खेती की और बढ़ें यह आपके जीवन और आने वाले पीढ़ी के लिए भी महत्वपूर्ण है। जीवन को बचाना है तो हमें प्राकृतिक खेती के प्रति आना होगा। कहा की खेती में किसानों द्वारा बड़ी मात्रा में केमिकल का प्रयोग किया जा रहा है जो जीवन के लिए हानिकारक है फसल का उत्पादन कम हो लेकिन हमें स्वच्छ शुद्ध अन्न इस प्रकार की खेती करें । यह केमिकल पत्तियां मृदा से पत्तियां और बाद में हमारे शरीर में आ जाता है जो नुकसान करता है। पहले के लोगों की आयु ज्यादा होती थी और आज हमारी आयु कम हो जा रही है ।
जिलाधिकारी ने कहा की जो गन्ने की 238 प्रजाति है उसमें काफी लागत भी आती है और रोग की ज्यादा संभावना है हम नई वैरायटी का प्रयोग करें। जिससे हमें रोग के लिए लगाए जाने वाले केमिकल की लागत से छुटकारा मिल सके और हमें अच्छी प्रजाति की गन्ना प्राप्त हो सके कहा कि यह प्रजाति सभी किसान बन्धुओ को विभाग द्वारा दी जाएगी । कहा हम गोबर की खाद जीवामृत और केचुवे की खाद का प्रयोग करें । कहा कि जो नए-नए शोध किया जा रहे हैं हमारे किसान बन्धु उनको अपने खेतों में प्रयोग करें ।
सरकार द्वारा किसानों की आय दुगनी करने की जो बात कही है वह इन्ही सब के प्रयोग से हो सकेगी । कहा कि पराली और गन्ने की पत्ती को ना जलाएं उसको खेत में सड़ाकर खाद के रूप में प्रयोग करें इससे मिट्टी की उर्बरा शक्ति में वृद्धि होगी और आपको रासायनिक खाद का भी प्रयोग नहीं करना पड़ेगा । खेत की मिट्टी भी मजबूत होगी । कहा कि हम उर्वरकों और रसायनों का प्रयोग करके खेती की उपजाऊ शक्ति को कमजोर कर रहे हैं । यह ऊपर से तो सही दिखती है लेकिन अंदर से इसके सभी पोषक तत्व की समाप्त हो गए है ।
इस अवसर पर कृषक उत्पादक संगठनों व प्रगतिशील किसानों ने भी जैविक खेती पराली अपशिष्ट प्रबंधन, नवीन प्रजातियो जैविक खेती के लाभों के बारे में अपने संबोधन से किसानों को बताया। अंत में जिलाधिकारी जी ने कृषि विभाग के पराली ,गन्ना पत्ती अपशिष्ट प्रबंधन कृष्ण जागरूकता मोबाइल वैन को भी हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
इस अवसर पर परियोजना निदेशक अमरेंद्र प्रताप मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी जिला कृषि अधिकारी कृषि विज्ञान केंद्र गजरौला के वैज्ञानिक तथा अन्य संबंधित अधिकारी कृषक उत्पादक संगठन लाभार्थी तथा बड़ी संख्या में जनपद के किस बन्धु मौजूद रहे।
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